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सहजन (मोरिंगा) के फायदे: कोलेस्ट्रॉल कम करने, वज़न घटाने, त्वचा विकारों को ठीक करने उपयोगी

आज में हम एक ऐसी औषधीय वनस्पति के बारे में जानेंगे जो बहुत ही आसानी से उपलब्ध हो जाती है, लेकिन उतनी ही अधिक लाभकारी भी है। इसका नाम है सहजन (मोरिंगा)।

सहजन (मोरिंगा) पाचन शक्ति बढ़ाने, कोलेस्ट्रॉल कम करने, वज़न घटाने, त्वचा विकारों को ठीक करने, और महिलाओं में मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं में बहुत उपयोगी है। जिन महिलाओं को माहवारी अनियमित है या स्त्राव पर्याप्त नहीं होता, उनके लिए भी यह अत्यंत लाभकारी है।

संस्कृत में इसे शिग्रु, शिवा गुरु या शोभाञ्जन कहा गया है। इंग्लिश में इसे Drumstick Plant, हिंदी में सहजन, मराठी में शेवग्या, और गुजराती में सर्व कहा जाता है। आप इसे अपने क्षेत्र में क्या कहते हैं, हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएं।

भारतीय खानपान में सहजन का हमेशा से विशेष स्थान रहा है—जैसे कि इसकी फलियों को उबालकर सूप बनाना, दाल में पकाना, या इसकी पत्तियों की सब्जी बनाना। इसके अलावा, जो लोग इसके सभी स्वास्थ्य लाभ पाना चाहते हैं, वे मोरिंगा के पाउडर (चूर्ण) का भी सेवन करते हैं।

आयुर्वेदिक ग्रंथों में सहजन की जड़, छाल, फल, पत्ते—सभी का औषधीय उपयोग बताया गया है। मोरिंगा में पोटैशियम, विटामिन A, आयरन और कैल्शियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स भी भरपूर होते हैं, और इसे सुपरफूड भी कहा जाता है।

लेकिन आज का हमारा उद्देश्य यह है कि हम मोरिंगा को आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से समझें—इसके गुण, प्रभाव, दोषों पर असर, किन प्रकृति वालों के लिए ये उपयोगी है, और किन्हें इससे परहेज करना चाहिए। साथ ही, हमें इसे सेवन करते समय किन बातों का ध्यान रखना है, यह भी जानेंगे।

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आयुर्वेद में सहजन (मोरिंगा) के गुण:

  • स्वाद: कटु, तिक्त (तीखा और कसैला)
  • गुण: लघु, तीक्ष्ण (हल्का और तीव्र)
  • तासीर: उष्ण (गर्म)
  • दोषों पर प्रभाव: वात और कफ को कम करता है, पित्त को बढ़ा सकता है।

इसलिए जिन लोगों को शरीर में अधिक गर्मी, जलन, पसीने की अधिकता या पित्त से संबंधित समस्याएं हैं, उन्हें इसका सेवन सावधानी से करना चाहिए।

सहजन (मोरिंगा) के फायदे:

  1. पाचन तंत्र के लिए लाभकारी: भूख न लगना, स्वाद न आना, जीभ पर सफेद परत, पेट के कीड़े, बच्चों में पाचन की समस्या आदि में उपयोगी। मोरिंगा का रस मिश्री के साथ लेने से पेट दर्द में राहत मिलती है।
  2. वज़न और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण में सहायक: पाचन सुधारने से मेटाबॉलिज़्म बेहतर होता है, जिससे वज़न कम करना और बेली फैट घटाना आसान हो जाता है।
  3. जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द में राहत: संधिवात (Osteoarthritis), आमवात (Rheumatoid Arthritis) जैसी स्थितियों में मोरिंगा बहुत असरदार है। इसे बाहरी रूप से लेप कर सकते हैं या आंतरिक रूप से पाउडर के रूप में ले सकते हैं।
  4. हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभकारी: हृदय को बल देने वाला और कोलेस्ट्रॉल कम करने वाला। उच्च और निम्न बीपी दोनों में संतुलन बनाता है।
  5. महिलाओं के लिए विशेष उपयोगी: अनियमित मासिक धर्म, पीसीओडी, यूटेरिन फाइब्रॉयड, मेनोपॉज़ के बाद की समस्याओं में फायदेमंद।
  6. त्वचा और बालों के लिए लाभकारी: एंटीबैक्टीरियल और डिटॉक्सिफाइंग गुणों से त्वचा विकारों, फोड़े-फुंसियों में राहत देता है।
  7. प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है: ठंडी लगकर बुखार हो तो मोरिंगा का सूप पसीना लाकर बुखार कम करता है। एंटीऑक्सीडेंट्स से शरीर की ऊर्जा भी बढ़ती है।

सहजन (मोरिंगा) सेवन विधि:

  • पाउडर की मात्रा: 1 से 5 ग्राम (आधा से एक चम्मच) तक।
  • समय: सुबह खाली पेट, गुनगुने पानी के साथ।
  • स्वाद बेहतर करने के लिए: नींबू रस या छाछ के साथ भी ले सकते हैं।
  • टेबलट के रूप में: दिन में दो बार, ज़रूरत अनुसार मात्रा बढ़ाई जा सकती है।

यदि पित्त बढ़ता हो तो गौ-दूध, मक्खन या घी का सेवन करें।

निष्कर्ष:

मोरिंगा यानी सहजन एक बहुपयोगी, शक्तिशाली और गुणकारी औषधि है। लेकिन जैसा कि हर आयुर्वेदिक औषधि के साथ होता है, इसका सेवन भी उचित मात्रा और सही तरीके से करना आवश्यक है।

अगर आप इसे अपने आहार में शामिल करना चाहते हैं, तो सप्ताह में 1–2 बार इसका प्रयोग करें, और अगर पित्त दोष अधिक है तो बिल्कुल सावधानी रखें।


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